कटिहार, 15 अगस्त 2025: बिहार के कटिहार जिले में खाद्य निगम के गोदाम से 350 मीट्रिक टन चावल के गायब होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह मामला तीनगछिया कृषि बाजार समिति स्थित गोदाम का है, जहां छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने चौंकाने वाले खुलासे किए। न केवल बड़ी मात्रा में चावल गायब पाया गया, बल्कि कुछ बोरियों में चावल की जगह ईंटें भरी हुई थीं।
गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई
मामले का खुलासा तब हुआ जब एसडीएम आलोक चंद चौधरी को चावल की कालाबाजारी की गुप्त सूचना मिली। सूचना के आधार पर टीम ने तुरंत गोदाम पर छापेमारी की। मौके पर जांच के दौरान खाद्य निगम के एजीएम और मार्केटिंग ऑफिसर मौजूद नहीं थे, जिससे शक और गहरा गया।
2950 मीट्रिक टन में से 350 मीट्रिक टन गायब
गोदाम में कुल 2950 मीट्रिक टन चावल संग्रहित होना चाहिए था, लेकिन जांच में करीब 350 मीट्रिक टन चावल गायब मिला। यह मात्रा इतनी बड़ी है कि इसे ट्रक के कई लोड में बाहर ले जाया जा सकता है। अधिकारियों का मानना है कि यह संगठित कालाबाजारी का मामला हो सकता है।
ईंटों से भरी चावल की बोरियां
छापेमारी के दौरान अधिकारियों को सबसे चौंकाने वाला दृश्य तब मिला जब कुछ बोरियों को खोला गया। उन बोरियों में चावल की जगह ईंटें भरी हुई थीं। हर बोरी का वजन लगभग 50 किलोग्राम था, जिससे यह भ्रम पैदा किया जा रहा था कि उनमें अनाज भरा है।
3 लाख रुपये नकद बरामद
जांच के दौरान, एजीएम के निजी ड्राइवर ऋषि की स्विफ्ट डिज़ायर कार से 3 लाख रुपये नकद बरामद किए गए। पूछताछ में ड्राइवर ने स्वीकार किया कि यह रकम एजीएम की है। यह बरामदगी मामले को और गंभीर बना देती है और आर्थिक लेनदेन में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।
पिछले दिनों से मिल रही थी शिकायतें
एसडीएम के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से चावल की कालाबाजारी को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने भी गोदाम से ट्रकों में चावल की संदिग्ध आवाजाही की सूचना दी थी। ऐसे में प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई का निर्णय लिया।
दोनों आरोपी हिरासत में
फिलहाल, इस मामले में गोदाम से जुड़े दोनों मुख्य आरोपियों को हिरासत में लिया गया है और उन्हें नगर थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल है।
आगे की जांच
प्रशासन का कहना है कि यह मामला केवल एक या दो लोगों का नहीं हो सकता, बल्कि इसमें कई स्तरों पर मिलीभगत की संभावना है। आगे की जांच में गोदाम के रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और परिवहन लॉग को खंगाला जाएगा।
कालाबाजारी का पैटर्न
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों में आमतौर पर पहले गोदाम से चावल निकाला जाता है, फिर बोरियों को वजन बनाए रखने के लिए ईंट या अन्य भारी वस्तुओं से भर दिया जाता है, ताकि पहली नजर में किसी को शक न हो।
स्थानीय प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि यह अनाज गरीबों के राशन के लिए था और इसकी कालाबाजारी से जरूरतमंदों को भारी नुकसान हुआ है। लोगों ने दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है।
सरकारी आपूर्ति पर असर
चावल की इतनी बड़ी मात्रा के गायब होने से सरकारी आपूर्ति प्रणाली पर असर पड़ सकता है। इससे राशन की दुकानों पर चावल की कमी हो सकती है, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
कटिहार का यह मामला बिहार में खाद्य आपूर्ति प्रणाली में मौजूद खामियों को उजागर करता है। यह केवल एक जिले का मामला नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि राज्यभर में निगरानी और पारदर्शिता को और मजबूत करने की जरूरत है। अगर जांच सही तरीके से की गई और दोषियों को सजा मिली, तो यह भविष्य में ऐसे मामलों पर रोक लगाने में मदद कर सकता है।