Gizmotz.com | 12 अगस्त 2025
बिहार इन दिनों बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है। राज्य के करीब 10 जिले बुरी तरह प्रभावित हैं, जिनमें खगड़िया, नवगछिया, भागलपुर, दानापुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, कटिहार, मधेपुरा, पूर्णिया और समस्तीपुर प्रमुख हैं। भारी बारिश और नदियों के उफान ने हजारों लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
नवगछिया और खगड़िया जैसे इलाकों में कई गांव पानी में डूब गए हैं। लोग ऊंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
बाढ़ का कारण: नदियों का उफान और लगातार बारिश
बिहार में बाढ़ की मुख्य वजह गंगा, कोसी, बागमती और महानंदा नदियों का खतरे के निशान से ऊपर बहना है।
- नेपाल में लगातार हो रही भारी बारिश से नदियों में पानी का बहाव तेज हो गया है।
- गंगा नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिससे तटवर्ती इलाकों में पानी भर गया है।
- कई जगह बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण निचले इलाकों में जलभराव और तेज बहाव देखने को मिला।
जल संसाधन विभाग के अनुसार, पिछले 48 घंटों में गंगा का जलस्तर भागलपुर में 1.5 मीटर और पटना में 1.2 मीटर बढ़ा है।
ग्राउंड रिपोर्ट: नवगछिया और खगड़िया की भयावह तस्वीर
हमारी टीम ने नवगछिया और खगड़िया से ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की।
- नवगछिया के कई गांव जैसे कुरसीला, भवानीपुर, कोशी टोला पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं।
- गांवों में घरों की दीवारें गिर चुकी हैं, कच्चे मकान पानी के दबाव से बह गए।
- लोग नाव और अस्थायी बेड़ों के सहारे सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं।
एक स्थानीय निवासी, रामेश्वर यादव ने बताया:
“हमारा पूरा घर पानी में चला गया। खाने-पीने का सामान खत्म हो गया है। अब बस भगवान का ही सहारा है।”
दानापुर में संघर्ष: सड़कें बनीं नहरें
राजधानी पटना के नजदीक दानापुर में भी हालात गंभीर हैं।
- मुख्य सड़कों पर घुटनों से लेकर कमर तक पानी भर चुका है।
- कई लोग घरों में कैद हैं, बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
- बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
प्रशासन की कार्रवाई: राहत और बचाव कार्य तेज
बिहार सरकार और एनडीआरएफ की टीम ने बचाव कार्य तेज कर दिया है।
- अब तक 50,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
- प्रभावित इलाकों में 50 से ज्यादा राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।
- हेलीकॉप्टर से खाने-पीने का सामान और दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं।
बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा:
“सरकार हर संभव मदद कर रही है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन मिलकर राहत कार्य में जुटे हैं।”
मानवीय संकट: भूख, बीमारी और पलायन
बाढ़ से सबसे बड़ा संकट खाने-पीने का पानी और स्वास्थ्य सेवाओं का है।
- कई इलाकों में स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा।
- पानीजनित बीमारियों जैसे डायरिया, टाइफाइड और त्वचा रोग के मामले बढ़ रहे हैं।
- लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि 1,200 से ज्यादा लोग बाढ़ जनित बीमारियों से प्रभावित हो चुके हैं।
आर्थिक नुकसान: फसलें और संपत्ति तबाह
बाढ़ से बिहार की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा है।
- धान, मक्का और सब्जियों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
- पशुधन का भारी नुकसान हुआ है।
- कई छोटे व्यवसाय और दुकानें बंद हो गई हैं।
कृषि विभाग के अनुसार, अब तक 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
मौसम विभाग का अलर्ट: खतरा अभी टला नहीं
मौसम विभाग ने अगले 3-4 दिनों तक और बारिश का अनुमान जताया है।
- गंगा और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर और बढ़ सकता है।
- निचले इलाकों में रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
सरकार और जनता के बीच समन्वय की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए
- बेहतर बाढ़ प्रबंधन योजनाएं
- पक्के तटबंधों का निर्माण
- जलनिकासी व्यवस्था में सुधार
जरूरी है।
निष्कर्ष
बिहार की यह बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी है, जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया है।
राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन असली चुनौती तब शुरू होगी जब पानी उतरने के बाद पुनर्वास का काम शुरू होगा।