
पृष्ठभूमि
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ और ‘डबल वोटिंग’ संबंधी आरोपों को लेकर राजनीति गरमा गई। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आयोग का पक्ष स्पष्ट किया।
CEC ने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का मकसद कमियों को दूर करना है। कुछ दलों द्वारा गलत सूचना फैलाने और आयोग के “कंधे पर बंदूक” रखकर निशाना साधने पर चिंता जताई गई।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की 5 बड़ी बातें
1) ‘वोट चोरी’ व डबल वोटिंग के आरोप निराधार
CEC ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि सभी हितधारक पारदर्शी तरीके से SIR को सफल बनाने में जुटे हैं और मतदाता सूची की शुचिता सर्वोच्च प्राथमिकता है।
2) 7 दिन में हलफनामा या माफी
राहुल गांधी के आरोपों पर आयोग ने चुनौती दी कि 7 दिनों में शपथ-पत्र के साथ ठोस प्रमाण दें, अन्यथा देश से माफी मांगे—बिना सबूत लगाए गए आरोप लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए हानिकारक हैं।
3) SIR पर ‘जल्दबाज़ी’ का आरोप मिथक
CEC के अनुसार हर चुनाव से पहले मतदाता सूची को दुरुस्त करना आयोग का कानूनी दायित्व है, इसलिए SIR को जल्दबाज़ी कहना तथ्यहीन है।
4) ‘कंधे पर बंदूक’—गलत सूचना से सावधान
आयोग ने कहा कि कुछ दल SIR पर गलत सूचनाएँ फैला रहे हैं। मसौदा मतदाता सूची पर दावे–आपत्तियाँ दर्ज करने के लिए अभी 15 दिन शेष हैं और आयोग के दरवाज़े सभी के लिए खुले हैं।
5) आयोग सबके लिए समान
चुनाव आयोग ने दोहराया कि वह सत्तारूढ़ और विपक्षी, दोनों दलों के साथ समान व्यवहार करता है। बूथ स्तर के अधिकारी/एजेंट पारदर्शिता से काम कर रहे हैं।
राहुल गांधी के आरोप क्या थे?
- बिहार में ‘डबल वोटिंग’ और ‘वोट चोरी’ की आशंका।
- SIR प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल।
- लोकतंत्र और जनविश्वास पर नकारात्मक प्रभाव की चिंता।
बिहार में SIR क्यों ज़रूरी?
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का उद्देश्य मतदाता सूची से त्रुटियाँ/डुप्लीकेट हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना है। यह नियमित और कानूनी प्रक्रिया है जिससे चुनाव के समय सूची अद्यतन रहे।
- मसौदा सूची जारी; दावे–आपत्तियाँ जारी।
- शेष समय: 15 दिन (आयोग के अनुसार)।
- बूथ स्तर पर पारदर्शी समन्वय।
‘डबल वोटिंग’ और ‘वोट चोरी’—मतलब क्या?
डबल वोटिंग: एक ही व्यक्ति का नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज होना।
वोट चोरी: किसी अन्य मतदाता की जगह अवैध रूप से वोट डालना।
आयोग का कहना है कि आधुनिक तकनीक व जांच-पड़ताल से ऐसे मामलों को रोका जाता है और निराधार दावों से लोकतंत्र को नुकसान होता है।
सोशल मीडिया पर गलत सूचना
CEC ने सोशल प्लेटफॉर्म्स पर SIR से जुड़ी अधूरी/भ्रामक जानकारी शेयर न करने की अपील की और तथ्य-आधारित संवाद को बढ़ावा देने की बात कही।
FAQ: ‘वोट चोरी’ विवाद और चुनाव आयोग
राहुल गांधी ने क्या आरोप लगाया?
बिहार में ‘डबल वोटिंग’ और ‘वोट चोरी’ की बात कहते हुए SIR की पारदर्शिता पर सवाल उठाए।
चुनाव आयोग ने क्या जवाब दिया?
CEC ने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि SIR पारदर्शी तरीके से संचालित हो रहा है।
7 दिन में माफी या सबूत—क्या मतलब?
आयोग ने 7 दिनों में शपथ-पत्र के साथ प्रमाण पेश करने या देश से माफी मांगने को कहा।
SIR क्या जल्दबाज़ी में हुआ?
CEC के अनुसार यह मिथक है—हर चुनाव से पहले सूची सुधारना आयोग का कर्तव्य है।
क्या आयोग सभी दलों को समान मानता है?
हाँ, आयोग का कहना है कि सत्तारूढ़ और विपक्षी, दोनों दल समान हैं और प्रक्रिया निष्पक्ष है।
निष्कर्ष
आयोग ने ‘वोट चोरी’ व ‘डबल वोटिंग’ के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि SIR लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए अनिवार्य है। अब निगाहें इस पर हैं कि अगले 7 दिन में आरोपों के समर्थन में शपथ-पत्र दाखिल होता है या सार्वजनिक माफी आती है।
नोट: यह रिपोर्ट 17 अगस्त 2025 की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बयानों/सार-संदर्भ पर आधारित है।